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1/15/12

वो ...

वो माया से विरक्त था, वो रुका हुआ वक़्त था
वो पल जो कोई पल न था, जहाँ का कोई कल न था
वहां कोई दिशा न थी, उषा न थी निशा न थी
न मुझे कोई प्यास थी, न किसी की तलाश थी
वो भूत था भविष्य था, वो एकता का शिष्य था
..
..

वो निर्जीव न था, उसके हर अंश में प्रान था

वो यथार्थ न था, वो एक स्वप्न का वितान था

वहां गुरुत्व न था, किसी कोटि का अनुमान न था

कोई अभाव न था, किसी अभिलाषा का प्रमान न था

वो समय न था, वो हर बिंदु पर समान था

न भूत न भविष्य, बस दीर्घ वर्तमान था

वो मौलिक थे, मेरी कल्पना के पात्र नहीं थे

हम उसके अवियोज्य अंश थे, अतिथि मात्र नहीं थे

न कोई ध्येय था न कोई राह थी

मैं था तुम थे फिर क्या परवाह थी

मैं मैं न था तुम तुम न थे 

वो हम न थे वो कोई और थे

हम हम न थे हम कोई और थे

वो हम न थे वो कोई और थे